इसका इतिहास 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा हुआ है. 1984 में भोपाल में एक इंसेक्टिसाइड प्लांट से लगभग 45 टन मिथाइल आइसोसाइनेट लीक हो गयी और आसपास फैल गयी. इसके कारण हजारों लोगों की उसी समय मौत हो गयी थी.
कई लोगों को इसके कारण कई शारीरिक और मानसिक परेशानियां हुई. हजारों लोगों को उस समय भोपाल छोड़ना पड़ा था. इस दिन को उन लोगों की याद में मनाया जाता है जिन्हों इस त्रासदी में अपनी जान गंवा दी थी.
इस दिन का उद्देश्य लोगों को उन कानूनों से अवगत कराना है जो प्रदूषण को रोकने में मदद करते हैं, और पॉल्यूशन नियंत्रण के बारे में जागरूकता फैलाना और औद्योगिक प्रक्रियाओं और मानवीय लापरवाही के कारण होने वाले प्रदूषण को रोकना है।