
1. दयालु लकड़हारा की हिंदी कहानी: Class 2 Short Moral Stories in Hindi
दयालु लकड़हारा!!
बहुत समय पहले किशनपुर गाँव में रामू नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह दूसराे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता। जीवाें के प्रति उसके मन में बहुत दया थी। एक दिन वह जंगल से लकड़ी इकट्ठी करने के बाद थक गया ताे थाेड़ी देर सुस्ताने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी उसे सामने के पेड़ से पक्षियों के बच्चाें के ज़ाेर-ज़ाेर से चीं-चीं करने की आवाज़ सुनाई दी।
उसने सामने देखा ताे डर गया। एक सांप घाेसले में बैठे चिड़िया के बच्चाें की तरफ बढ़ रहा था। बच्चे उसी के डर से चिल्ला रहे थे। रामू उन्हें बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ने सांप लकड़हारे के डर से नीचे उतरने लगा। उसी दाैरान चिड़िया भी लाैट आई। उसने जब रामू काे पेड़ पर देखा ताे समझा कि उसने बच्चाें काे मार दिया।
वह रामू काे चाेच मार-मारकर चिल्लाने लगी। उसकी आवाज़ से और चिड़िया भी आ गईं। सभी ने रामू पर हमला कर दिया। बेचारा रामू किसी तरह पेड़ से नीचे उतरा। चिड़िया जब घाेसले में गई ताे उसके बच्चे सुरक्षित बैठे थे। बच्चाें ने चिड़िया काे सारी बात बताई ताे उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
वह रामू से माफी मांगना चाहती थी और उसका शुक्रिया अदा करना चाहती थी। उसे कुछ दिन पहले दाना ढूंढ़ते हुए एक कीमती हीरा मिला था। उसने हीरे काे अपने घाेसले में लाकर रख लिया था। चिड़िया ने वह हीरा रामू के आगे डाल दिया और एक डाली पर बैठकर अपनी भाषा में धन्यवाद करने लगी। रामू ने हीरा उठा लिया और चिड़िया की तरफ हाथ उठाकर उसका धन्यवाद किया और वहां से चल दिया। तभी कई चिड़िया आईं और उसके ऊपर उड़कर साथ चलने लगीं मानाे वे उसका आभार करते हुए विदा करने आई हाें।
किसी भी जीव पर किये गये उपकार का फल सदैव ही सकारात्मक नतीजे के रूप में वापस मिलता हैं।
2. बुरे कर्म का बुरा नतीजा: हिंदी कहानी:
बुरे कर्म का बुरा नतीजा:
एक गरीब किसान के पास एक छोटा सा खेत और एक बैल था। बड़ी मेहनत से उसने कुछ पैसे जमा किये और एक बैल और खरीदा। जब वो बैल खरीद कर ला रहा था तो रास्ते में उसे चार युवक मिले। उन युवकों ने किसान से कहा क्या तुम इस बैल को बेचोगे। किसान ने सोचा मैंने यह बैल 1500 रुपए में खरीदा है। यदि इससे अधिक पैसे मिलते हैं तो मैं इसे बेच दूंगा और इससे बेहतर बैल खरीद लूंगा।
उस किसान ने उन लड़कों को बैल की कीमत 2000 रुपए बताई। लड़के बोले कीमत तो ज्यादा है क्यों न किसी समझदार व्यक्ति को पंच बनाकर फैसला करा लें। आप और हम यह वचन लेंगे की जो भी कीमत पंच कहेंगे वो हम मान लेंगे। कुछ सोच कर किसान ने बैल बेचने का वचन दे दिया। थोड़ी देर बाद वहां से एक वृद्ध व्यक्ति गुजरे। सभी न उन्हें ही पंच बनाने का फैसला किया। किसान ने भी सहमति दे दी। वास्तव में वह चारों लड़के एक ठग पिता की संतान थे और वो वृद्ध कोई और नहीं बल्कि उन चरों का पिता ही था। उन्होंने पिता को ही पंच बना लिया।
पिता ने बैल की कीमत मात्र 500 रुपए तय की। वचन में बंधे किसाओं को 500 रूपये में बैल बेचना पड़ा। लेकिन वो इस बात को समझ गया कि मुझे ठगा जा रहा है। अगले दिन किसान एक सुंदर महिला के भेष में उन चारों भाइयों से मिला और उनमे से किसी एक के साथ शादी करने की इच्छा व्यक्त की। चारों तैयार हो गए और एक दूसरे से बहस करने लगे की मैं शादी करूँगा – मैं शादी करूँगा। नारी के भेष में किसान बोला जो मेरे लिए बनारसी साड़ी, मथुरा के पेड़े और सहारनपुर के आम सबसे पहले लाएगा मैं उसी के साथ शादी करूंगी। यह सुन चारों शहर की ओर दौड़े। उनके जाने के बाद किसान ने उस ठग पिता को बहुत पीटा और वहां से चला गया। जब ठक के चारों बेटे वापस आये और अपने पिता को इस स्थिति में देखा तो मन कसौटते रह गए वो कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि किसान का पता तो वह जानते ही नहीं थे।
अगले दिन वह किसान एक वैध का भेष बनाकर उस वृद्ध ठग का इलाज करने पंहुचा। और लड़कों को चार जड़ी बूटी लाने के लिए अलग अलग भेजा। लड़कों के जाने के बाद उस किसान ने उस वृद्ध को फिर पीटा और अपना बैल लेकर चला गया। जब चारों भाई लोटे तो पिता और और बद्तर अवस्ता में पाया। अब उन्होंने प्रण ले लिए की कभी किसी के साथ ठगी नहीं करेंगे। इस तरह एक मामूली किसान ने अपनी समझदारी से ठगों को सुधर दिया।
कहानी की शिक्षा:
बुरे कर्म करने पर हमेशा बुरा ही परिणाम मिलता है।